बारिश की ऋतु में जब घर पर बैठे हो और शाम की उदासी छाई हो तब अकेलेपन में ये कुछ अशआर उमड़ आते है । बारिश की ऋतु में जब घर पर बैठे हो और शाम की उदासी छाई हो तब अकेलेपन में ये कुछ अ...
क्या सिर्फ मुझे ही तड़पाती है तेरी याद? या फिर तुझे भी रुलाती है मेरी याद? क्या सिर्फ मुझे ही तड़पाती है तेरी याद? या फिर तुझे भी रुलाती है मेरी याद?
वो देह जलाती गर्मियों में पैरों तले चप्पल सी है वो देह जलाती गर्मियों में पैरों तले चप्पल सी है
प्यार की लहर हमारे दिल में बहती इस मौसम सी प्यार की लहर हमारे दिल में बहती इस मौसम सी
कवि तो हर एक पहलू की बात करता है, साहित्य में वो वर्णन-ए-बरसात करता है। कवि तो हर एक पहलू की बात करता है, साहित्य में वो वर्णन-ए-बरसात करता है।
मौसम, बादल, बरसात, और हम, गुज़रते हुए दिन के साथ गुज़रते हुए हम,! मौसम, बादल, बरसात, और हम, गुज़रते हुए दिन के साथ गुज़रते हुए हम,!